भारतीयों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में वहां की परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है. इसी दिन से अलग-अलग राज्यों में गंगा नदी के किनारे माघ मेला या गंगा स्नान का आयोजन किया जाता है. कुंभ के पहले स्नान की शुरुआत भी इसी दिन से होती है. मकर संक्रांति त्योहार विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है.
मकर संक्रांति को दक्षिण भारत में पोंगल (Pongal) के नाम से जाना जाता है. गुजरात और राजस्थान में इसे उत्तरायण (Uttarayan) कहा जाता है. हरियाण और पंजाब में मकर संक्रांति को माघी (Maghi) के नाम से पुकारा जाता है. इसी वजह से इसे साल की सबसे बड़ी संक्रांति (Sankranti) कहा गया है. क्योंकि यह पूरे भारत में मनाई जाती है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाई जाती है. मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने, खाने और दान करने खास होता है. यही वजह है कि कई जगह पर खिचड़ी भी कहा जाता है.
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का महत्व सबसे अधिक है. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्नानए दान और पुण्य के शुभ समय का विशेष महत्व है. ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है. जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं.
मान्यता है कि चंद्रमा का प्रतीक चावल को माना जाता है, काली उड़द की दाल को शनि का और हरी सब्जियां बुध का प्रतीक होती है. कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत करने के लिए कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी खानी चाहिए.
मकर संक्रांति साल 2025 में 14 जनवरी को मनाई जा रही है|
पुण्य काल मुहूर्त - 09:03 AM to 05:46 PM (कुल समय - 8 घंटे 42 मिनट) महापुण्य काल मुहूर्त - 09:03 AM to 10:48 AM (कुल समय - 1 घंटे 45 मिनट)