आर्यभट्ट भारत के महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक हुए थे। भारत के इस महान सपूत को भारत ने ही नही बल्कि पूरी दुनिया ने भरपूर सम्मान दिया है। भारत ने अपने पहले उपग्रह का नाम आर्यभट रखा जिसे 19 अप्रैल 1975 को अंतरिक्ष में छोड़ा गया। भारत दुनिया पहला ऐसा देश है जिसने अपने पहले उपग्रह को किसी काल्पनिक देवी-देवता का नाम नही दिया, बल्कि अपने एक महान गणितज्ञ का नाम दिया। साल 1976 में अर्न्तराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने आर्यभट्ट की 1500वीं जयंती मनाई थी। आइये हम सब भी आर्यभट्ट के जीवन और महान कार्यों की जानकारी प्राप्त करें-
इस महान वैज्ञानिक का जन्म भारत का स्वर्ण युग कहे जाने वाले गुप्त काल में हुआ था। गुप्त काल में आर्यभट जैसे महान वैज्ञानिको की बदौलत साहित्य, कला और विज्ञान के क्षेत्रों में भारत ने काफी तरक्की की।आर्यभट्ट ने अपने ग्रन्थ ‘आर्यभट्टीयम’ में अपना जन्मस्थान कुसुमपुर और जन्मकाल शक संवत् 398 (476) लिखा है। इस जानकारी से उनके जन्म का साल तो निर्विवादित है परन्तु वास्तविक जन्मस्थान के बारे में विवाद है। इतिहासकारों के अनुसार उनका जन्म या तो पटना में हुआ था जा फिर महाराष्ट्र में। भले ही उनके जन्मस्थान के बारे में विवाद हो पर सभी इतिहासकार इस बात पर सहमत है कि उनके ग्रंथ आर्यभटीय से प्रभावित होकर गुप्त राजा बुद्धगुप्त नालंदा विश्वविद्यालय का प्रमुख बना दिया था।
आर्यभट ने अपने ग्रंथ में लिखा है कि उन्होंने इस ग्रंथ की रचना कलयुग के 3600 वर्ष बीत जाने के बाद की और इसे लिखते समय उनकी आयु 23 वर्ष है। भारतीय कैलंडर के अनुसार कलयुग की शुरूआत 3101 ईसापूर्व को हुई थी, इसका मतलब कि आर्यभट का जन्म 476 ईसवी में हुआ था। इस तरह से आर्यभट अपने जन्मकाल की सुस्पष्ट सूचना देने वाले भारत के पहले वैज्ञानिक थे।
If you like this blog then please share.