We have lots of ritual while doing prayer or our rituals. One of those, is putting hand while having a sectarial mark on our forehead. Few of the important parts of this ritual, are putting our hand on our head and using specific fingers while marking Tilak. Here is a brief:
तिलक बिना लगाएं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी की भी पूजा-प्रार्थना नहीं होती। धर्म मान्यता अनुसार सूने मस्तक को अशुभ माना जाता है।
तिलक लगाते समय सिर पर हाथ रखना भी हमारी एक परंपरा है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका कारण क्या है?
दरअसल धर्म शास्त्रों के अनुसार सूने मस्तक को अशुभ और असुरक्षित माना जाता है।
तिलक लगाने के लिए अनामिका अंगुली शांति प्रदान करती है। मध्यमा अंगुली मनुष्य की आयु वृद्धि करती है। अंगूठा प्रभाव और ख्याति तथा आरोग्य प्रदान कराता है। इसीलिए राज तिलक अथवा विजय तिलक अंगूठे से ही करने की परंपरा रही है। तर्जनी मोक्ष देने वाली अंगुली है।
यह माना जाता है, कि हम तीन उंगलियों का इस्तेमाल तिलक के लिए अलग तरीके से करते हैं। मानव पर अनामिका के साथ तिलक को चिह्नित करना अलग तरीके से, देवता और पूर्वजों पर तिलक अलग तरीके तथा अलग उंगलियों से किया जाता है।
ज्योतिष के अनुसार अनामिका तथा अंगूठा तिलक करने में सदा शुभ माने गए हैं। अनामिका सूर्य पर्वत की अधिष्ठाता अंगुली है। यह अंगुली सूर्य का प्रतिनिधित्व करती है, जिसका तात्पर्य यही है कि सूर्य के समान, दृढ़ता, तेजस्वी, प्रभाव, सम्मान, सूर्य जैसी निष्ठा-प्रतिष्ठा बनी रहे।
दूसरा अंगूठा है जो हाथ में शुक्र क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र ग्रह जीवन शक्ति का प्रतीक है। जीवन में सौम्यता, सुख-साधन तथा काम-शक्ति देने वाला शुक्र ही संसार का रचयिता है।
माना जाता है कि जब अंगुली या अंगूठे से तिलक किया जाता है तो आज्ञा चक्र के साथ ही सहस्त्रार्थ चक्र पर ऊर्जा का प्रवाह होता है। सकारात्मक ऊर्जा हमारे शीर्ष चक्र पर एकत्र होकर हमारे विचारो को सकारात्मक करती है जिससे हमारे कार्यसिद्ध होते है ।
इसीलिए तिलक लगावाते समय सिर पर हाथ जरूर रखना चाहिए.