Parsva Ekadashi is observed on the Ekadashi (11th day) of the Krishna Paksha (waxing phase) of the moon in Bhadrapada Month. Parsava Ekadashi happens during the Chaturmas period and hence is considered auspicious. It is believed that Lord Vishnu who takes rest during this period changes his position of sleep from the left side to the right side. Hence this Ekadasi is known as Parsva Parivartini Ekadashi. Vamana avatar of Lord Vishnu takes place during this period. Hence the Ekadasi is also known as Vamana Ekadashi.
Parsva Ekadashi on Saturday, September 14, 2024
On 15th Sep, Parana Time for Vaishnava Ekadashi - 06:06 AM to 08:34 AM
On Parana Day Dwadashi end - 06:12 PM
Ekadashi Tithi Begins - 10:30 PM on Sep 13, 2024
Ekadashi Tithi Ends - 08:41 PM on Sep 14, 2024
Parsva Ekadashi Vrat Katha
~~~ॐ नमो भगवते वासुदेवाय~~~
त्रेता युग में भगवान विष्णु का महान भक्त राजा बलि हुआ। राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी वो भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। उसकी नियमित भक्ति और प्रार्थनाओं से भगवान विष्णु प्रसन्न हो उठे। राजा बलि राजा विरोचन के पुत्र और प्रहलाद के पौत्र थे और ब्रह्मणों की सेवा करते थे। इस प्राकर अपने तप, पूजा और विनम्र स्वभाव के कारण राजा बलि ने अनेकों शक्तियाँ अर्जित कर लीं और इन्द्र के देवलोक के साथ त्रिलोक पर अधिकार कर लिया। इससे देवता लोकविहीन हो गए। उनके पास अधिकार नहीं रह गए और इस कारण सृष्टि की व्यवस्था गड़बड़ाने लगी।
इसलिए इन्द्र को उसका राज्य वापस दिलवाने के लिए भगवान विष्णु को वामन अवतार रखना पड़ा। वे वामन अर्थात् बौने ब्रह्माण का रूप धर कर राजा बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह करने लगे। वामन रूप में भगवान ने एक हाथ में लकड़ी का छाता रखा हुआ था। गुरू शुक्रचार्य के मना करने के बावजूद राजा बलि ने वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे डाला।
वचन सुनकर वामन अवतार अपना आकार बढ़ाते गए और उन्होंने इतना आकार बढ़ा लिया कि पहले कदम में पूरी पृथ्वी को नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक को नाप लिया। उनके तीसरे कदम के लिए कोई भूमि ही नहीं बची। तब वचन के पक्के राजा बलि ने कदम रखने के लिए उन्हें अपना सिर प्रस्तुत किया। वामन रूप रखे भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति और वचनबद्धता से अत्यंत प्रसन्न हो गए और राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया। इसके साथ ही भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि चतुर्मास अर्थात चार माह में उनका एक रूप क्षीर सागर में शयन करेगा और दूसरा रूप राजा बलि के पाताल में उस राज्य की रक्षा के लिए रहेगा।
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