इस वर्ष शिवरात्रि व्रत को लेकर उठ रहे सन्देह पर कुछ ठोस प्रमाण दिया जा रहा है , इस उद्देश्य से कि आप सभी को सही-सही जानकारी मिल सके । 卐 ॐ नमः शिवाय 卐 शिवरात्रि व्रत के सन्दर्भ मे - " फाल्गुनफाल्गुनकृष्णचतुर्दशी - शिवरात्रि " - [सिन्धु ग्रन्थ से] फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं । " आदित्यास्तमये काले अस्ति चेत्या चतुर्दशी । तद्रात्रिः शिवरात्रिः स्यात्सा भवेदुत्तमोत्तमा ।। " - [सिन्धु व कामिक ग्रन्थ] सूर्य के अस्त समय मे यदि चतुर्दशी तिथि भोग कर रही होती है तभी शिवरात्रि का व्रत करना उत्तम होता है । चूँकि शिवरात्रि व्रत के लिए निशीथ काल ( रात्रि काल ) मे चतुर्दशी तिथि का होना आवश्यक है । " भवेद्यत्र त्रयोदश्यां भूतव्याप्ता महानिशा । शिवरात्रि व्रत तत्र कुर्याज्जागरणं तथा ।। " - [स्मृत्यंतर ग्रन्थ ] जिस त्रयोदशी की महानिशा मे चतुर्दशी व्याप्त हो उसमे ही शिवरात्रि व्रत व जागरण किया जाना चाहिए । " नार्धरात्रादधश्र्चोर्ध्व युक्ता यत्र चतुर्दशी । नैव तत्र व्रतं कुर्यादायुरैश्वर्यहानितः ।। " - [सिन्धु ग्रन्थ ] आधि रात से पहले और आधी रात के बाद जहाँ पर चतुर्दशी व्याप्त न हो , उस स्थिति मे शिवरात्रि व्रत को नही किया जाना चाहिए । " व्यापर्धरात्रं यस्या तु लभ्यते या चतुर्दशी । तस्यामेव व्रतं कार्य मत्प्रसादार्थिभिर्नर्रैः ।। [ईशान संहिता मे स्वयं भगवान शिव का कथन ।]
Chaturdashi Tithi Starts - 22:34 on 13/Feb/2018 Chaturdashi Tithi Ends - 00:46 on 15/Feb/2018
जिस तिथि मे आधी रात को चतुर्दशी की प्राप्ति होती है , उसी तिथि मे ही मेरी प्रसन्नता के लिए व मेरे प्रसाद से अपनी सम्पूर्ण मनोकानाओ की प्राप्ति हेतु व्रत करे । दिनांक 13 / 2 / 2018 दिन मंगलवार को त्रयोदशी तिथी आधि रात के बाद तक भोग कर रही है । इस दिन निशीथ काल मे चतुर्दशी तिथि का अभाव है । जबकि दूसरे दिन दिनांक - 14 /2 / 2018 दिन बुधवार को पूरा दिन और पूरी रात चतुर्दशी तिथी का ही भोग हो रहा है । जो कि निशीथ व्यापिनी है ।
यहां ध्यान देने योग्य बात है कि मंगलवार को चतुर्दशी तिथि रात्रि 10 बजकर 35 मिनट से प्रारम्भ होगी जो कि बुधवार को रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी बुधवार को सूर्योदय काल से व्याप्त रहने से तथा प्रदोष काल में एवं महानिशीथ काल में चतुर्दशी पूर्ण व्याप्त होने से महाशिवरात्रि व्रत बुधवार को मनाया जाना धर्मशास्त्र सम्मत है। क्योकि मंगलवार को प्रदोष काल में चतुर्दशी का अभाव है। बुधवार को प्रदोष काल सायं 05 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा तथा महानिशीथ काल रात्रि 11 बजकर 48 मिनट से लेकर अर्धरात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इसलिए बुधवार महाशिवरात्रि व्रत मनाया जाना धर्मशास्त्र सम्मत है। रूद्राभिषेक के लिए भी यही समय दो समयखण्ड सर्वोत्तम हैं।
निष्कर्ष - तमाम ग्रन्थो मे प्राप्त हो रहे प्रमाणो के आधार पर शिवरात्रि का व्रत दिनांक - 14 / 2 / 2018 दिन बुधवार को किया जाना श्रेयस्कर होगा । विशेष - रुद्राभिषेक करने के लिए फाल्गुन व श्रावण मास मे शिव वास का विचार नही किया जाता है । अतः पूरे मास भर कभी भी किसी भी दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है ।।
Maha Shivratri 2018 Puja Shubh Muhurat and Pujan Vidhi (पूजन विधि)
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है, यह अभिषेक दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, चीनी और पानी जैसी सामग्रियों से किया जाता है। इसके साथ भगवान शिव को बेलपत्र का फल और धतुरा अर्पित किया जाता है। शिवरात्रि के दिन व्रत करने वाले लोगों को जूस और फलों के अलावा किसी का सेवन नहीं करते हैं। रात्रि में पूजन करने से पहले शाम के समय भोजन करते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
सबसे पहले महाशिवरात्रि की पूजा के समय शुद्ध आसन पर बैठकर आचमन करें। यज्ञोपवित धारण कर शरीर शुद्ध करें। तत्पश्चात आसन की शुद्धि करें। पूजा सामग्री को यथास्थान रखकर रक्षादीप प्रज्ज्वलित कर लें। अब स्वस्ति पाठ करें।
इसके पश्चात हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें। अब आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं। इसके बाद भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान कराएं। फिर सुगंध-स्नान कराएं फिर शुद्ध स्नान कराएं। अब भगवान को वस्त्र और जनेऊ चढाएं, फिर सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाएं। अब विविध प्रकार के फल चढ़ा कर धूप-दीप जलाएं और शिव जी को नैवेद्य का भोग लगाएं। अंत में फल, पान-नारियल, दक्षिणा आदि चढ़ाकर आरती करें।और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
विशेष - शिव पूजा के अंत में इस रावणकृत शिव तांडव स्तोत्र का प्रदोष समय में गान करने से या पढ़ने से लक्ष्मी स्थिर रहती है, साथ ही भक्त रथ, गज और घोड़े से सर्वदा युक्त रहता है।
ॐ नमः शिवाय
Sir...Date time should be as per respective place wherever you are.